रास्ते मंज़िलों के नौहागर मंज़िलें रास्तों के मातम में ज़िंदगी दम-ब-दम यही तूफ़ाँ तुम हिरासाँ हुए ज़रा दम में ख़ाक पैरों तले वही लेकिन साँस लेते हैं और आलम में रात-रानी सा तू महकता है मेरी यादों के सब्ज़ एल्बम में एक शम-ए-उमीद जैसा तू इस पिघलती हुई शब-ए-ग़म में