क्या ख़बर थी इस क़दर वो बेवफ़ा हो जाएगा एक दिन साया मिरा मुझ से जुदा हो जाएगा हद से बढ़ कर गर किसी को तुम ने चाहा फिर वही बा-वफ़ा होते हुए भी बेवफ़ा हो जाएगा ज़ुल्म की भी इंतिहा होती है इतना सोच ले आह के शो'लों में जल कर तू फ़ना हो जाएगा गर बचा कर जी लिए ईमान को इस दौर में दोस्तो फिर ज़िंदगी का हक़ अदा हो जाएगा इस लिए करता नहीं अब दर्द-ए-दिल का मैं इलाज दर्द जब हद से बढ़ेगा ख़ुद दवा हो जाएगा