क्या क्या हुए हैं हम पे सितम कुछ न पूछिए नाग़ुफ़्तनी है क़िस्सा-ए-ग़म कुछ न पूछिए दिल का तो हाल आप को हम ने सुना दिया जिन मुश्किलों में आप हैं हम कुछ न पूछिए गुज़रे ब-ख़ैर का'बा-ओ-बुत-ख़ाना से तो हम अब सर किस आस्ताँ पे है ख़म कुछ न पूछिए आँखों में अश्क लब पे फ़ुग़ाँ दिल में इज़्तिराब किस मेहरबाँ के हैं ये करम कुछ न पूछिए समझा हुआ था हुस्न को हम ने वफ़ा-सरिश्त निकला है किस तरह ये भरम कुछ न पूछिए मेरी नज़र में वक़अत-ए-दैर-ओ-हरम है क्या ऐ सकिनान-ए-दैर-ओ-हरम कुछ न पूछिए ले जा रहा है ज़ौक़-ए-तमाशा मुझे कहाँ उठते हैं किस तरफ़ को क़दम कुछ न पूछिए पहुँचा है आज नामा-ए-दिलदार तो हमें क्या क्या हुआ है ज़ेब-ए-रक़म कुछ न पूछिए हुस्न-ए-सुख़न में लुत्फ़ जो है क्या बताएँ हम 'साहिर' के शे'र ही की क़सम कुछ न पूछिए