क्या क्या इन-बॉक्स में उगलते हैं ये जो बन कर शरीफ़ बैठे हैं आप मौका-परस्त नईं हैं सो आप को एक मौक़ा देते हैं दिल तिरे मुँह पे मारने के लिए उस के मैसेज सँभाल रक्खे हैं खेल खेलेंगे आप हम से भी हम तो बचपन से साथ खेले हैं सुख की खिड़की या ग़म का दरवाज़ा आप दिल में कहाँ से आए हैं कुछ तो मुझ से बुरा किया होगा आप जो मुझ को अपने लगते हैं ख़्वाब आते रहें हमें उस के फूल तकिए पे रख के सोते हैं उस ने यूँ कह दिया तो उस ने यूँ छोटे लोगों के दुख भी छोटे हैं