क्या नहीं मुक़द्दर में क्या लिखा नहीं मालूम आसमान चल जाए चाल क्या नहीं मालूम हम ने एक पत्थर को धड़कनें अता की हैं देखते हैं बनता है कब ख़ुदा नहीं मालूम हक़ की बात की हम ने क्या बुरा किया लोगो क्यों मिज़ाज बरहम है आप का नहीं मालूम अपने पास रहने दे अपनी झूटी हमदर्दी हाल-ए-दिल सुनाऊँ क्या तुझ को जा नहीं मालूम या-ख़ुदा भरम रखना मेरी बे-नवाई का तू दिलों से वाक़िफ़ है तुझ को क्या नहीं मालूम तिनका तिनका कर डाला मेरे आशियाने का किस तरफ़ को चलती है अब हवा नहीं मा'लूम आज मेरे दिल में है कल कहीं पे होगी और कल ठिकाना क्या होगा आस का नहीं मालूम हम क़रीब आए हैं कितनी मुद्दतों के बा'द दूर फिर करे लम्हा कौन सा नहीं मालूम कजरवी में हम 'हसरत' हक़ को भूल बैठे हैं किस को बेबसी में दें अब सदा नहीं मालूम