क्यों तुम से इलाज-ए-दिल-ए-शैदा नहीं होता क्या दर्द-ए-मोहब्बत का मुदावा नहीं होता तूफ़ान-ए-बला-ख़ेज़ है हर अश्क-ए-मोहब्बत क्यूँकर कहीं क़तरा कभी दरिया नहीं होता मिलता ही नहीं साग़र-ए-मय बादा-कशों को जब तक तिरी आँखों का इशारा नहीं होता छन-छन के उमडती चली आती है तजल्ली कोशिश भी करें आप तो पर्दा नहीं होता बेकार है अर्बाब-ए-ज़माना की शिकायत कोई भी ज़माने में किसी का नहीं होता जब तक कोई मुँह मोड़ न ले दैर-ओ-हरम से असरार-ए-हक़ीक़त का शनासा नहीं होता तेरे सितम-ओ-जौर से हैं बंद ज़बानें या'नी तिरी बेदाद का चर्चा नहीं होता 'शैदा' ये दुआ है कि बुरा वक़्त न आए अपना भी बुरे वक़्त में अपना नहीं होता