लाएगी रंग आप की ये दिल-लगी कुछ और बढ़ कर रहेगी अब मिरी आशुफ़्तगी कुछ और मुझ पर खुलेंगे और अभी राज़-हा-ए-इश्क़ दिल को मिलेगी लज़्ज़त-ए-बेचारगी कुछ और मेरी हयात इश्क़ है तम्हीद-ए-इम्बिसात जल्वे दिखाएगी मुझे ख़ुद-रफ़्तगी कुछ और उन की तरफ़ है चश्म-ए-सुख़न गो दम-ए-अख़ीर उस के सिवा नहीं असर-ए-ज़िंदगी कुछ और हाँ ऐ ख़याल-ए-दोस्त दिखा दोस्त को दिखा बाक़ी कुछ और है हवस-ए-बंदगी कुछ और रहता न इतना दूर मैं उस जल्वा-गाह से ऐ काश उभारता ग़म-ए-उफ़्तादगी कुछ और वा'दे यूँही जो करते रहेंगे वो नौ-ब-नौ हासिल करूँगा मैं तरब-ए-ज़िंदगी कुछ और 'मंज़ूर' इक निगाह-ए-तरब-सोज़ के सिवा देखा न हम ने हासिल-ए-शर्मिंदगी कुछ और