नाज़-ए-बुत-ए-महवश पर क़ुर्बान दिल-ओ-जाँ है ये शान-ए-ख़ुदा शाहिद-ए-ग़ारत-गर-ए-ईमाँ है जो बात भी है प्यारी जो चाल भी है अच्छी आन उस की नहीं मख़्फ़ी शान उस की नुमायाँ है हमराह चलूँ उस के कुछ बात करूँ उस से मुद्दत से ये हसरत है मुद्दत से ये अरमाँ है वो मुझ को दिखाते हैं हर आन नया जल्वा मेरे लिए हर जल्वा सरमाया-ए-एहसाँ है गिर्दाब-ए-हवादिस में ख़ुश हूँ कि मिरी कश्ती ना-दीदा-ए-साहिल है परवर्दा-ए-तूफ़ाँ है हँसता हुआ आया है हँस हँस के रुलाएगा वो अहद-शिकन फिर अब आमादा-ए-पैमांँ है 'मंज़ूर' उसे दिल देना दिल दे के ख़लिश लेना ये भी कोई हसरत है ये भी कोई अरमाँ है