लबों से कुछ न कहा मुद्दआ' जता भी दिया वो मेरी बात पे चुपके से मुस्कुरा भी दिया हवा की ज़द में मुझे छोड़ भी दिया उस ने और इक चराग़ मिरी रूह में जला भी दिया गए दिनों के हवाले से मत मिलो मुझ से वो वाक़िआ' तो बहुत दिन हुए भुला भी दिया वो शख़्स जिस के सबब ठोकरें मिलीं अक्सर उसी ने मुझ को सँभलने का हौसला भी दिया उसे यक़ीं था कि मैं फिर उसे पुकारूँगा मुझे गुमाँ था कि मैं ने उसे भुला भी दिया