लफ़्ज़ बे-जाँ हैं मिरे रूह-ए-मआनी मुझे दे अपनी तख़्लीक़ से तू कोई निशानी मुझे दे तेरा भी नाम रहे मैं भी अमर हो जाऊँ ऐसा उनवान कोई ऐसी कहानी मुझे दे चल रही है बड़ी शिद्दत से यहाँ सर्द हवा मुझ को बुझने से बचा सोज़-ए-निहानी मुझे दे ये हसीं पेड़ ये ख़ुशबू मिरी कमज़ोरी है दिन का सब माल तिरा रात की रानी मुझे दे मेरा मुश्किल है सफ़र तेरे सहारे के बग़ैर रुकने लग जाऊँ अगर मैं तो रवानी मुझे दे इस क़दर धाँदली अच्छी नहीं उम्र-ए-रफ़्ता मेरा बचपन न सही मेरी जवानी मुझे दे मुझे अंदेशा है इस भीड़ में औरों की तरह तू भी खो जाएगा अपना कोई सानी मुझे दे 'राम' हर इक के मालिक से गुज़ारिश है तो ये साफ़ लहजा मुझे दे सादा-बयानी मुझे दे