लहू में क्या बताएँ रौशनी कैसी मिली थी मिली थी बस मोहब्बत जिस तरह की भी मिली थी बहुत सी जम्अ कर रक्खी थीं उस ने कहकशाएँ मैं रोया तो मुझे इक क़ाश सूरज की मिली थी उठाते किस तरह पलकों की लम्बाई का झगड़ा बहुत मुश्किल से आँखें और बीनाई मिली थी हया थी आँख में गंदुम के ख़ोशे हाथ में थे अजब हालत में थी जब मुझ को उर्यानी मिली थी यहीं थी जो नज़र आई थी मिशअल थी कि आतिश नबुव्वत थी कि चिंगारी ज़मीं पर ही मिली थी