लहू से वक़्त की ज़ुल्फ़ें सँवारने वाला सर-ए-सिनाँ है ख़ुदा को पुकारने वाला तुझे ज़मीन के ऊपर वही चलाता है मुझे ज़मीन के अंदर उतारने वाला मिरे लिए मिरे जैसा ही ढूँड कर लाओ किसी भी हाल में हिम्मत न हारने वाला किसी से मिल के बिछड़ने का ग़म नहीं करता तमाम-उम्र अकेले गुज़ारने वाला मैं अपने हाल-ए-परेशाँ से किस तरह निकलूँ मुझे बिगाड़ गया है सुधारने वाला