लाख आशिक़ हुआ करे कोई इश्क़ का हक़ अदा करे कोई इश्क़ की इंतिहा करे कोई जान उन पर फ़िदा करे कोई जिन के दिल में बसा हो तू ही तू तुझ से फिर क्या दुआ करे कोई करने वाली तो ज़ात उसी की है क्या किसी का भला करे कोई बे-रुख़ी से मिले तो मिलना क्या उम्र भर तक मिला करे कोई इश्क़ से दिल तो उस का ख़ाली है लाख ज़िक्र-ए-ख़ुदा करे कोई जो बशर दुश्मन-ए-मोहब्बत हो मुँह न उस से लगा करे कोई बेवफ़ा वो हैं या कि मैं 'आसी' आज ये फ़ैसला करे कोई