लमहा-ए-इमकान को पहलू बदलते देखना आतिश-ए-बे-रंग में ख़ुद को पिघलते देखना इश्क़ में ये फ़ैसला है इस दिल-ए-सौदाई का ख़ुद को गिरते देखना उस को सँभलते देखना इज़्तिराब-ए-दर्द में हद से गुज़र जाना नहीं हुस्न-ए-शाम-ए-आरज़ू का रूप ढलते देखना उम्र-ए-बे-अंदाज़ को काफ़ी सहारा हो गया ख़्वाब-ए-ख़ुश-अंदाज़ उस के साथ चलते देखना रेग-ए-बे-तदबीर में परवाज़ महव-ए-ख़्वाब है इक हवा-ए-तेज़ में उस को मचलते देखना आसमाँ ऐ आसमाँ क्या मेरी क़िस्मत में नहीं उस निगह में ख़्वाहिशों की आग जलते देखना