ले लिया दिल ये दिल-लगी क्या है तुम रुलाते हो ये हँसी क्या है इश्क़ बाद-ए-फ़ना भी मिट न सका मौत क्या शय है ज़िंदगी क्या है रोज़-ओ-शब हैं इताब-ओ-जौर-ओ-सितम उन के अल्ताफ़ में कमी क्या है ऐ बुतो ये ग़ुरूर सूरत पर तुम ख़ुदा बन गए ख़ुदी क्या है दिल-ए-बे-माया है ख़ज़ीना-ए-ग़म मुफ़लिसी में मुझे कमी क्या है ख़ाक को आसमाँ से क्या निस्बत मेरी और उन की दोस्ती क्या है नश्शा-ए-दीद में जो हो बे-ख़ुद फिर उसे लुत्फ़-ए-मय-कशी क्या है चारागर वक़्फ़-ए-चारासाज़ी हैं इक मुसीबत है दोस्ती क्या है नूर-ए-उल्फ़त की है ये जल्वागरी वर्ना 'कौकब' में रौशनी क्या है