लिखूँ फ़िराक़ की गर वारदात वस्ली पर जुदा जुदा हूँ तपाँ मुफ़रिदात वस्ली पर लिखा था मैं ने जो बख़्त-ए-सियाह का अहवाल गिरी सियाही की आख़िर दवात वस्ली पर हमारे यार ने तिफ़्ली में भी सिवाए सितम लिखा नहीं रक़म-ए-इल्तिफ़ात वस्ली पर ये बात निकले है अंदाज़ से कि अब 'मारूफ़' लिखेगा उस लब-ए-शीरीं की बात वस्ली पर