लिए मैं क़दम जो उस के तो किया इताब उल्टा कही बात मैं ने सीधी तो दिया जवाब उल्टा वो जो ग़ैर हैं सो उन से तुम्हें बे-तकल्लुफ़ी है हमें देख कर के अब तुम करो हो हिजाब उल्टा ये वो दौर है अज़ीज़ो है नजीब गर्दी इस में चली बाद अब वो जिस से वरक़-ए-किताब उल्टा वहीं मेहर ज़र्रा हो कर लगा आँख को झपकने लब-ए-बाम उन ने रुख़ से जो सहर नक़ाब उल्टा मैं तलाश में कल उस के फिरा दर-ब-दर वो 'माहिर' न मिला तो घर को अपने मैं फिरा ख़राब उल्टा