लोग नफ़रत की जब इस आग से जल जाएँगे मुझ को उम्मीद है हालात बदल जाएँगे जो थे मौजूद मिरी जेब में खोटे सिक्के मैं समझता था कि बाज़ार में चल जाएँगे छोड़ सकते हैं मुझे रेस में पीछे लेकिन लोग क्या वक़्त से आगे भी निकल जाएँगे अपने अश्कों से भिगो देंगे फिर उस की बुनियाद देखने हम जो कभी ताज-महल जाएँगे ऐ मिरी मौत मुझे सोते समय मत आना तेरे पैरों से मिरे ख़्वाब कुचल जाएँगे मेरे बेटे तू खिलौने के लिए ज़िद मत कर आज रहने दे बहुत धूप है कल जाएँगे मुझ से अब आप की तारीफ़ न हो पाएगी आप कम-ज़र्फ़ हैं शोहरत से उछल जाएँगे गुनगुनाएँगी जिसे पढ़ के कई नस्लें तिरी हम तिरी मेज़ पे रख कर वो ग़ज़ल जाएँगे