लुत्फ़-ओ-करम का तेरे तलबगार मैं भी हूँ या-रब ख़ता मुआ'फ़ ख़ता-कार मैं भी हूँ सत्तार तू रहीम तू रहमान तू ग़फ़ूर हर इक क़दम पे तेरा गुनहगार मैं भी हूँ दिल अंजुमन-ए-नाज़ में उलझा है आज-कल दुनिया की लज़्ज़तों में गिरफ़्तार मैं भी हूँ मेरी तरफ़ भी कोई मोहब्बत भरी नज़र ऐ हुस्न-ए-यार तालिब-ए-दीदार मैं भी हूँ कोई दुआ कि खिल उठे मायूस ज़िंदगी कोई दवा कि देर से बीमार मैं भी हूँ बातिल के साथ चलना गवारा नहीं 'हिलाल' हक़ बात गर कहूँ तो सर-ए-दार मैं भी हूँ