लुत्फ़ से मतलब न कुछ मेरे सताने से ग़रज़ शोख़ियों से काम उन को मुस्कुराने से ग़रज़ उस गली से काम उन का सामना हो या न हो मुझ को हो आना वहाँ तक हर बहाने से ग़रज़ शिकवा-ए-अग़्यार पर ज़ालिम ने यूँ टाला मुझे तुम को हम से काम है तुम को ज़माने से ग़रज़ कोई मौसम कोई दिन हो इस से कुछ मतलब नहीं हज़रत-ए-'बेख़ुद' को है पीने पिलाने से ग़रज़