माह-रुख़ों से यारी पैदा करते हैं जज़्बों में सरशारी पैदा करते हैं ख़ुश्बूओं से ‘आरी पैदा करते हैं नक़ली फूल मदारी पैदा करते हैं उन की गली में आना-जाना छोड़ दिया अब हम भी ख़ुद्दारी पैदा करते हैं ऐसे वैसों के हम मुँह लगते ही नहीं दुश्मन भी मे’यारी पैदा करते हैं ‘इज़्ज़त से जीने के लिए इस दुनिया में आओ ख़ुद-मुख़तारी पैदा करते हैं शे'र सुना कर हम भी सुब्ह-ओ-शाम 'ज़की' लोगों में बेदारी पैदा करते हैं