महकता हुआ आज सारा चमन है बहारों का मस्कन मिरा ही वतन है गुलों का जो निखरा हुआ सा बदन है अजब है नज़ाकत ग़ज़ब बाँकपन है सुख़न का ये रस्ता बहुत ही कठिन है मगर हर सुख़नवर इसी में मगन है तो जाऊँ कहाँ उस गली से जो निकलूँ कहीं भी रुकूँ मैं उसी की लगन है खड़े हैं परेशाँ यहाँ पर सभी जो जहाँ देखते हैं फ़ज़ा में घुटन है ब-ज़ाहिर जो करते हैं उल्फ़त की बातें उन्ही के दिलों में हसद है जलन है 'हिना' तुम बता दो कहाँ है वो मंज़िल ये रस्ता है कैसा ये कैसी थकन है