मेरा तुझ से सितारा मिल रहा था किनारे से किनारा मिल रहा था लिखा था नाम मैं ने जो ख़ुदा का उसी का बस सहारा मिल रहा था तुम्हारे बा'द मिलने हिज्र आया दुखी हो कर दोबारा मिल रहा था निगाहों में किसी की आस ले कर किसी से दिल हमारा मिल रहा था जो था ऊँचा तुम्हारा सिलसिला तो वहीं शजरा हमारा मिल रहा था तुम्हारे अहद के हम मुन्हरिफ़ थे यही इल्ज़ाम सारा मिल रहा था चले आओ कि अब ये रात बीते कि शब से दिन का तारा मिल रहा था 'हिना' ये राज़ हम ने दिल में रक्खा मिला जो भी तुम्हारा मिल रहा था