महव है हुस्न की अदाओं में इश्क़ रहता है किन हवाओं में मय-कशी क्या ख़ता ख़ताओं में जा पड़ी बात पारसाओं में बार-ए-एहसाँ बढ़ा दिया मुझ पर और क्या है तिरी अताओं में और क्या है तिरी अताओं में नफ़रतों का ग़ुबार देखोगे हुस्न-ए-इख़्लास की रिदाओं में गुम न हो जाएँ वलवले दिल के ज़ीस्त के पुर-ख़तर ख़लाओं में रक़्स करती है तीरगी 'परवेज़' दिल-ए-बर्बाद की फ़ज़ाओं में