महफ़िल में अगर साक़ी-ए-गुलफ़ाम नहीं है रिंदों को मय-ओ-जाम से कुछ काम नहीं है आराम से हैं और सभी लोग जहाँ में हम इश्क़ के मारों को ही आराम नहीं है ऐ राहरव-ए-राह-ए-मोहब्बत ये समझ ले इस राह में राहत का कहीं नाम नहीं है लज़्ज़त-कश-ए-आग़ाज़-ए-मोहब्बत है अभी दिल दीवाने को अंदेशा-ए-अंजाम नहीं है क्या आएगा वो अहल-ए-मोहब्बत की नज़र में दुनिया-ए-मोहब्बत में जो बदनाम नहीं है पुर-नूर है जो अक्स-ए-रुख़-ए-यार से 'नय्यर' उस सुब्ह-ए-मुनव्वर की कोई शाम नहीं है