मैं भी आगे बढ़ूँ और भीड़ का हिस्सा हो जाऊँ इस से अच्छा तो यही है कि मैं तन्हा हो जाऊँ प्यास को मेरी जो इक जाम न दे पाया कभी तिश्नगी उस की ये कहती है मैं दरिया हो जाऊँ मुझ को जकड़े हुए रिश्तों की हक़ीक़त मत पूछ बस चले मेरा अगर तो मैं अकेला हो जाऊँ ले के जाऊँ कहाँ एहसास-ए-वफ़ादारी को दिल तो कहता है कि मैं भी तिरे जैसा हो जाऊँ हो किसी तौर तो दुनिया की तवज्जोह मुझ पर एक दो पल के लिए मैं भी तमाशा हो जाऊँ दिल की मजबूरी अजब चीज़ है वर्ना 'जावेद' कौन चाहेगा भला ख़ुद कि मैं रुस्वा हो जाऊँ