मैं 'इश्क़ कर न सकूँगा नया हसीं लड़की हनूज़ ज़ेहन में है साबिक़ा हसीं लड़की ब-ज़िद न हो कि उदासी तुझे भी आ लेगी तुझे पता ही नहीं दुख मिरा हसीं लड़की तरस न खा मिरी हालत पे अश्क-बार न हो कहा भी था ना तुझे लौट जा हसीं लड़की पिलीज़ बात समझ मुझ से अब नहीं होगा न कर सकूँगा तिरा हक़ अदा हसीं लड़की समझ रहा हूँ तुझे पर मैं चाहता ही नहीं किताब-ए-हुस्न हो दीमक-ज़दा हसीं लड़की 'मुदस्सिर' उस से कहो जा के उस को समझाए कोई न आएगा उस की जगह हसीं लड़की