मैं किसी ज़र्रे को ख़ुर्शीद नहीं करता हूँ और ख़ुर्शीद की तरदीद नहीं करता हूँ शा'इरी मेरी मिरा ग़म है मिरा अपना ग़म मैं कभी 'मीर' की तक़लीद नहीं करता हूँ मैं ने सोचा था भला होगा अदब का लेकिन ऐसी हालत है कि तन्क़ीद नहीं करता हूँ तेरे कहने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ना है मैं तो ख़ुद अपनी ही ताईद नहीं करता हूँ क्या पता मुझ से तिरी सोच अलग हो शायद मशवरा देता हूँ ताकीद नहीं करता हूँ तू तो मेरा है मिरे यार कम-अज़-कम तुझ से ऐसी बातों की मैं उम्मीद नहीं करता हूँ अब मिरा चाँद कहीं और चमकता होगा बस यही सोच के मैं 'ईद नहीं करता हूँ मैं मुजद्दिद भी अगर हूँ तो सुनो दीवानो मज़हब-ए-‘इश्क़ में तज्दीद नहीं करता हूँ