मैं सब कुछ अन-देखा करने लगता हूँ जब भी उस का पीछा करने लगता हूँ ख़ुद के शाने पे ही रख देता हूँ सर ऐसे दिल को हल्का करने लगता हूँ ख़ामोशी जब ज़ाहिर होने लगती है तब मैं शोर-शराबा करने लगता हूँ नक़्श-ए-दस्त मिला है और न नक़्श-ए-पा किन राहों का पीछा करने लगता हूँ वज्ह-ए-हिज्र-ए-यार ये दुनिया हो जैसे जिस से देखो झगड़ा करने लगता हूँ सोचा था कि इश्क़ नहीं करना है अब और पहले से ज़ियादा करने लगता हूँ अम्मी सूखी रोटी याद दिलाती है जब मैं पैसा पैसा करने लगता हूँ झगड़ा तो शिद्दत से कर लेता हूँ फिर पछतावे में गिर्या करने लगता हूँ खोल ही लेता हूँ यादों का एल्बम मैं और फिर रोना-धोना करने लगता हूँ सर से दस्त-ओ-पा का काम लिया मैं ने मैं दीवाना क्या क्या करने लगता हूँ