मैं सोचता था कि कहना भुला दिया उस ने किवाड़ खोल के पर्दा उठा दिया उस ने जो सोचते थे कि बालिग़-नज़र कहाँ है कोई वो हाथ मलते हैं कैसा दिला दिया उस ने कहानियों से कशीदा मलाल की क़िरअत और उस के बा'द लतीफ़ा सुना दिया उस ने वो बे-जहत जो मिरी ख़्वाब-गाह तक पहुँची तो मेरी नींद में रख़्ना बना दिया उस ने ड्राप-सीन से पहले जगा दिया जाना मिरे गुमाँ का तलज़्ज़ुज़ उठा दिया उस ने