मैं तीरगी से गुज़रता हूँ रौशनी की तरह मुझे शुऊ'र है जीने का आदमी की तरह यही अदा थी यही नाज़ था यही शोख़ी इक और शख़्स भी देखा था आप ही की तरह मैं उन से महव-ए-तकल्लुम वो मुझ से गर्म-ए-सुख़न मैं ज़िंदगी से मुख़ातिब हूँ ज़िंदगी की तरह ख़ता मुआ'फ़ ये मिलना भी कोई मिलना है तुम अपने हो के भी मिलते हो अजनबी की तरह तिरा जमाल है आईना-दार-ए-ज़ात-ओ-सिफ़ात तिरा ख़याल है सूरज की रौशनी की तरह किसी की याद की ख़ुशबू है मिस्ल-ए-बू-ए-चमन किसी की ज़ुल्फ़ का साया है चाँदनी की तरह मिरी हयात मिरी काएनात के मालिक मैं चाहता हूँ तुझे अपनी ज़िंदगी की तरह बदन महक उठे ख़ुशबू-ए-यार से 'जौहर' अगर हयात हो फूलों की ताज़गी की तरह