मैं तो आ गया हूँ साक़ी तुझे मिलने के बहाने मुझे मय ही गर थी पीनी तो थे सौ शराब-ख़ाने तुझे कौन ऐ सितमगर है जफ़ा से रोक सकता कहे कौन बिजलियों से न जलाओ आशियाने तिरी आँख में नशा है कहीं बढ़ के मय से साक़ी तू बिखेर दे निगाहें तो हों बंद बादा-ख़ाने नहीं क़ैद अब जगह की दिया जब से तू ने ठुकरा तिरे दर की था जो ठोकर हैं अब उस के सौ ठिकाने मिरे दोस्त थे कि दुश्मन थी 'सदा' सभी को जल्दी मैं अभी मरा नहीं था कि सब आ गए उठाने