मैं ने आग़ाज़ में अंजाम की बातें की हैं गर समझ लो तो बड़े काम की बातें की हैं वही जज़्बा जो मोहब्बत का अमीं होता है हाँ उसी जज़्बा-ए-बे-नाम की बातें की हैं हम सुना बैठे हैं अफ़्साना-ए-कौनैन उन्हें और कहने को फ़क़त नाम की बातें की हैं चंद मौहूम उमीदों का सहारा ले कर आज उन से दिल-ए-नाकाम की बातें की हैं काँप उठी है मिरी दुनिया-ए-मोहब्बत ऐ दोस्त दिल से जब इश्क़ के अंजाम की बातें की हैं मैं गुज़र आया हर इक कैफ़ियत-ए-मय से 'ज़की' वो समझते हैं कि बस जाम की बातें की हैं