मानूस ऐसा हो गया तन्हाइयों से मैं अब भागता हूँ अपनी ही परछाइयों से मैं दुनिया ने ख़ैर मुझ को तो बदनाम कर दिया डरता हूँ अब तो आप की रुस्वाइयों से मैं हीला तो चाहिए कोई जाने के वास्ते सब कुछ समझ गया तिरी अंगड़ाइयों से मैं उस का मलाल है कि कहीं का नहीं रहा गिर कर तिरे ख़याल की बालाइयों से मैं 'फ़य्याज़' इस लिए नहीं उठते मिरे क़दम वाक़िफ़ नहीं हूँ इश्क़ की गहराइयों से मैं