मक़्सूद-ए-जान-ओ-दिल शह-ए-ज़ीशान आप हैं हक़्क़ा कि मेरा दीं मिरा ईमान आप हैं तख़लीक़-ए-काएनात है मंसूब आप से उन्वान-ए-ज़िंदगी बहर-उन्वान आप हैं हम आसियों के पास कुछ इस के सिवा नहीं बख़्शिश का है अगर कोई सामान आप हैं इंसानियत की करती है तकमील जिस की ज़ात वल्लाह इस जहाँ में वो इंसान आप हैं दुनिया की जुस्तुजू है न उक़्बा की आरज़ू मेरी नज़र के सामने हर आन आप हैं तूफ़ाँ में नाख़ुदा की ज़रूरत नहीं मुझे मैं आप का हूँ मेरे निगहबान आप हैं अल्लाह का वजूद तो देखा नहीं मगर अल्लाह के वजूद की पहचान आप हैं 'ज़ैदी' बयाँ सिफ़ात हों क्या मुख़्तसर ये है हम पर ख़ुदा की ज़ात का एहसान आप हैं