मक़्तल में आज हौसला दिल का निकल गया सब अपने पाँव से गए मैं सर के बल गया मंज़ूर दिल का था उन्हें लेना सो ले चुके अब क्यों वो पास आएँगे मतलब निकल गया क़िस्मत तो देखिए जो शब-ए-वस्ल आई भी शिकवे शिकायतों ही में सब वक़्त टल गया आते ही फ़स्ल-ए-गुल के जुनूँ का हुआ ये जोश दीवाना उन का जामे से बाहर निकल गया बाक़ी हैं ब'अद-ए-क़त्ल भी उल्फ़त की गर्मियाँ दिल की तड़प न कम हुई गो दम निकल गया उन की निगाह-ए-क़हर से अब क्या बचेगा दिल पल्टा नहीं जो तीर कमाँ से निकल गया इस डर से नाला कर नहीं सकता फ़िराक़ में मर जाऊँगा जो वो दिल-ए-नाज़ुक दहल गया काँटों की आबलों से ग़नीमत थी नोक झोंक वहशी का तेरे दश्त में कुछ जी बहल गया साबित-क़दम हमीं हैं न ग़ैरों को मुँह लगाओ कोई न होगा उन में से जोबन जो ढल गया ऐ 'बज़्म' मुझ से करते वो इक़रार-ए-वस्ल क्या वो तो ये कहिए उन की ज़बाँ से निकल गया