मरहम नदामतों का लिए बद-हवास मैं इक ज़ख़्म-ए-बे-हिसी के रहा आस-पास मैं देखा जो चाँद चाँद के दाग़ों में खो गया तेरे मिज़ाज से हुआ जब रू-शनास मैं मेरी किताब-ए-इश्क़ में करता है क्या तलाश दीबाचा-ए-ज़वाल का हूँ इक़्तिबास मैं मैं क्या मिरा वजूद क्या मेरी हयात क्या दुनिया-ए-बे-सबात का ख़ाली गिलास मैं मेरी हुजूम-ए-ग़म से ख़लासी न हो सकी ग़म का लिबास दिल है तो दिल का लिबास मैं मेरे बहुत क़रीब थी तारों की अंजुमन फिर भी किसी निगाह को आया न रास मैं क्यूँकर लगे हो मेरा नशेमन सँवारने 'इरफ़ान' तुम हो ख़ुश्क तो भीगी कपास मैं