मौसम भी याद-ए-यार में दिल-गीर हो गया तन्हाइयों से मेरी बग़ल-गीर हो गया दामन पे मेरे दाग़ लगाने की ज़िद में वो किरदार की वो अपने ही तश्हीर हो गया बच्चों ने मुझ को घर से निकलने नहीं दिया रिश्ता ये मेरे पाँव की ज़ंजीर हो गया मरने से उस को अपने कभी डर नहीं लगा जीना जब उस के वास्ते ता'ज़ीर हो गया अल्लाह ने रत-जगों की दुआएँ क़ुबूल की वो ख़्वाब मेरे ख़्वाब की ता'बीर हो गया आँसू में ढल के ज़ेर-ए-लहद खो गया कहीं या दर्द बन के दिल से बग़ल-गीर हो गया 'सीमा' उलझ गई है सियासत के जाल में दिल का मोआ'मला था जो गम्भीर हो गया