मौत का जाम मिला इश्क़ के मयख़ाने से वास्ता अब रहा शीशे से न पैमाने से इश्क़ बदनाम हुआ चीख़ने चिल्लाने से सीख ले ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ तू किसी परवाने से जाम रखने का ये आदी है वो फ़य्याज़ी का इस लिए बनती नहीं शीशे की पैमाने से किसी वहशी को नसीहत न तू कर ऐ नासेह छेड़ अच्छी नहीं होती किसी दीवाने से उम्र भर ग़म से न छूटा कभी दामन 'जौहर' झगड़े सब मिट गए इक मौत के जाने से