मौत ने फ़ुर्सत निकाली है अभी ग़म से राहत मिलने वाली है अभी जो दिलाई थी किताबें बेच कर उस के कानों में वो बाली है अभी आओ यारो तुम भी थोड़ा ज़ोर दो इश्क़ की गर्दन दबा ली है अभी आ के वो ज़ख़्मों से दिल भर जाएगा लाख बेहतर है कि ख़ाली है अभी दाग़ बनने में अभी कुछ वक़्त है मैं ने जो उम्मीद पाली है अभी मिल गया इक शख़्स मुझ सा हू-ब-हू जिस्म की ख़ल्वत खंगाली है अभी कल वो फिर कोई बहाने आएगी चारासाज़ी से जो टाली है अभी जल रहे हैं सोज़िश-ए-मंज़र से पाँव गो 'सफ़र' सारा ख़याली है अभी