मेहनत की कमाई पे क़नाअत नहीं करता बंदों की तरह क्या वो इबादत नहीं करता छोटों से वो ताज़ीम की उम्मीद न रक्खे जो अपने बड़ों की कभी इज़्ज़त नहीं करता बच्चों को सुनाता है बुज़ुर्गों की कहानी वो अपनी रिवायत से बग़ावत नहीं करता ग़ुर्बत में बिछा देता है क़ालीन-ए-मोहब्बत मेहमान की आमद पे शिकायत नहीं करता बुज़दिल भी वो कहलाने से डरता है जहाँ में सच बोलने की भी कभी जुरअत नहीं करता इस वास्ते कुछ लोग ख़फ़ा रहते हैं उस से 'शब्बीर' किसी राई को पर्बत नहीं करता