मेरे लिए हज़ार करे एहतिमाम हिर्स मैं वो हों मुझ पे डाल सकेगी न दाम हिर्स है कुछ न कुछ हर आदमी को ला-कलाम हिर्स लेकिन न इस क़दर कि बना ले ग़ुलाम हिर्स ऐ ज़ुल्फ़ फैल फैल के रुख़्सार को न ढाँक कर नीम-रोज़ की न शह-ए-मुल्क-ए-शाम हिर्स वाइ'ज़ शराब-ओ-हूर की उल्फ़त में ग़र्क़ है है सर से पाँव तक ये सितम-गर तमाम हिर्स दिल छीन आशिक़ों के मगर होशियार रह ऐसा न हो कि दिल को बना ले ग़ुलाम हिर्स नाक़िस रहेंगे सारे तलव्वुन से कारोबार करने न देगी तुझ को यहाँ कोई काम हिर्स क़ब्ज़ा उठाएगी न दिल-ए-रोज़गार से जब तक न ज़िंदगी का करे इख़्तिताम हिर्स मुद्दत से इश्तियाक़ है बोस-ओ-कनार का गर हुक्म हो शुरूअ' करे अपना काम हिर्स 'परवीं' लगी हुई है ख़ुदा से मुझे उमीद दिल को मिरे बनाए न अपना ग़ुलाम हिर्स