मेरे रोने पर हँसी अच्छी नहीं बस जी बस ये दिल-लगी अच्छी नहीं दिल लगी का भी न रोना हो कहीं हर घड़ी की ये हँसी अच्छी नहीं नाज़ुकी का उज़्र रहने दीजिए बात ऐ जाँ बस यही अच्छी नहीं आ के बैठा और जाने की पड़ी बस यही तो ख़ू तिरी अच्छी नहीं कौन सी 'कैफ़ी' बुरी है मुझ में बात हाँ ये इक क़िस्मत मिरी अच्छी नहीं