पानी पानी हो गया जोश अब्र-ए-दरिया-बार का देख कर तूफ़ाँ हमारे दीदा-हा-ए-ज़ार का चश्म-ए-हमदर्दी मरीज़-ए-इश्क़ इन आँखों से न रख काम क्या निकले भला बीमार से बीमार का दिल से हमदम ने रह-ए-उल्फ़त में ये धोका दिया क्या करे अब कोई दुनिया में भरोसा यार का दिल दिया जिस को उसी ने दाग़-ए-मायूसी दिया रास ही आया न हम को हाए करना प्यार का या मिटाया उस का लिखवाया मैं ख़ुद ही मिट गया ऐ मुक़द्दर अब तो ये सर और दर है यार का हम ने 'कैफ़ी' ख़ूब ही आँखें लड़ाईं उस से कल कर दिया सारा हिरन नश्शा निगाह-ए-यार का