मिरे वजूद की क़ाएम असास रहने दे ज़मीं के जिस्म पे कोई लिबास रहने दे मिरी तमाम ख़ुशी ख़ुश-दिली से ले जा तू जो तेरे ग़म हैं वो सब मेरे पास रहने दे मुझे तो पीना है आँखों से तेरी जी-भर कर तू मेरे सामने ख़ाली गिलास रहने दे कभी कभी मुझे तन्हाइयों में छोड़ भी दे कभी कभी तो मुझे भी उदास रहने दे ये तल्ख़ लहजा तिरा दिल को कर न दे घायल ज़बान-ओ-लब पे ज़रा सी मिठास रहने दे मैं तुझ से दूर बहुत हो के जी न पाऊँगा तुझे क़सम है मुझे अपने पास रहने दे तू मेरी प्यास की शिद्दत बुझा नहीं सकती ऐ चश्म-ए-मस्त मिरे लब की प्यास रहने दे त'अल्लुक़ात न कर तर्क अपने 'शादाँ' से कभी-कभार तो मिलने की आस रहने दे