मेरी दुश्मन है सादगी मेरी खा गई मुझ को आजिज़ी मेरी होंट खोले तो क़ैद बोल गई बात पहली थी आख़िरी मेरी डर गया था मिरे उजाले से छीनी सूरज ने रौशनी मेरी धुन सुनी मोर-चंग की जब से मुझ से रूठी है बाँसुरी मेरी आप को शौक़ शोहरतों का है मेरा सब कुछ है शाइ'री मेरी बे-वजह तोहमतों से बेहतर है छीन लो मुझ से ज़िंदगी मेरी जानते हो मिरा मिज़ाज 'ज़फ़र' सह न पाओगे दुश्मनी मेरी