मेरी हस्ती में मिरी ज़ीस्त में शामिल होना तुझ को ऐ हुस्न मुबारक हो मिरा दिल होना ख़ुश्क हो जाएँ जो आँखें तो ग़म-ए-फ़ुर्क़त क्या चाहिए और भी तर दीदा-ए-बिस्मिल होना उस पे मुश्किल कोई पड़ जाए तो आसाँ हो जाए हौसला बख़्शे जिसे काम का मुश्किल होना ला मिरा जाम उठा अपनी सुराही साक़ी आज है गर्दिश-ए-दौराँ के मुक़ाबिल होना अब कहे जाओ फ़साने मिरी ग़र्क़ाबी के मौज-ए-तूफ़ाँ को मिरे हक़ में था साहिल होना क़ैस लैला की नज़र से ही बना था मजनूँ उस का अच्छा है पस-पर्दा-ए-महमिल होना मस्त उल्फ़त हों मिरा नाम है दीवाना-ए-हुस्न काम है होश में आना कभी ग़ाफ़िल होना कितनी उम्मीद से बढ़ते हैं मुसाफ़िर के क़दम क़ुदरती है ग़म-ए-नाकामी-ए-मंज़िल होना आज के दौर में कम बात नहीं है ये 'फ़लक' एक फ़न में किसी इंसान का कामिल होना