मेरी रुस्वाई का यूँ जश्न मनाया तुम ने रेत पर नाम लिखा और मिटाया तुम ने फ़िक्र की धूप में झुलसी हूँ कई सदियों तक मैं ने पाया है तुम्हें मुझ को न पाया तुम ने मैं ने जब चाहा भुला दूँ तिरी यादों को तभी प्यार का गीत मुझे आ के सुनाया तुम ने इश्क़ ने सुध ही भुला दी थी मिरे तन मन की टूट ही जाती मगर मुझ को बचाया तुम ने वक़्त ने मुझ से उसी वक़्त हँसी छीनी है जब भी रोती हुई आँखों को हँसाया तुम ने एहतियातों ने मिरे पावँ वहीं रोक लिए जब मिरी सम्त कभी हाथ बढ़ाया तुम ने