मेरी साँसो में रू-ब-रू हो जा मेरे जीने की आरज़ू हो जा हर तरफ़ तू ही तू दिखाई दे हर तरफ़ सिर्फ़ तू ही तू हो जा एक दूजे के दोनों हो जाएँ मैं तिरी और मेरा तू हो जा ख़ुद को देखूँ तो तुझ को पा जाऊँ आइना बन के चार-सू हो जा जो अभी तक न हो सका कोई मेरे महबूब वो ही तू हो जा जाँ से बढ़ कर अज़ीज़ है मुझ को मेरी उल्फ़त की आबरू हो जा ख़ुशबुओं की तरह महक उट्ठो मेरे गुलशन की रंग-ओ-बू हो जा इस से पहले मैं ख़त्म हो जाऊँ ऐ मेरी ज़िंदगी शुरूअ' हो जा मेरी ख़ामोशियाँ पिघल जाएँ वो मोहब्बत की गुफ़्तुगू हो जा बारगाह-ए-सनम में जाना है ऐ 'किरन' तू भी बा-वज़ू हो जा