मिरी सेह्हत बिगड़ती जा रही है ख़ुदा के पास अर्ज़ी जा रही है बदन मौक़ूफ़ है इक पैरहन पर उदासी ख़ूब पहनी जा रही है तुम्हारी ट्रेन आगे बढ़ चुकी है मिरी आवाज़ दबती जा रही है सियह शब में दरीचे बंद कर के तिरी तस्वीर देखी जा रही है पड़ोसी ख़ुश बहुत ख़ुश आज होंगे मिरी घर से बिगड़ती जा रही है जिसे ख़ुशबू की चाहत हो वो देखे कहाँ किस सम्त तितली जा रही है